मजबूर आदमी हैं हम यहां मजबूरी में ही हमे जीना पड़ता है। मजबूर आदमी हैं हम यहां मजबूरी में ही हमे जीना पड़ता है।
सब मिलकर ही भ्रष्टाचार को नष्ट करना जिनकी नीव बंद दरवाज़े पर कराहती है और रात के काले अंधेरों में च... सब मिलकर ही भ्रष्टाचार को नष्ट करना जिनकी नीव बंद दरवाज़े पर कराहती है और रात क...
भ्रष्ट को कर दे बाहर नेक को आगे ले आ कब तक छला जाऐ तुझे ज़रा उसे ये एहसास करा भ्रष्ट को कर दे बाहर नेक को आगे ले आ कब तक छला जाऐ तुझे ज़रा उसे ये एहसास करा
भ्रष्टता पूरक है सत्ता और ताकत का भक्षक हैं जो ये जनता का।। भ्रष्टता पूरक है सत्ता और ताकत का भक्षक हैं जो ये जनता का।।
बदली हुई राख में कानून व्यवस्था, सब देखती , यह नपुंसक बनकर इंतजार करती, बदली हुई राख में कानून व्यवस्था, सब देखती , यह नपुंसक बनकर इंतजार करती,